कीमत.......
कीमत.......
क्या गजब की ये दुनिया की रीत,
कोई लफ्जों से बनता संगीत,
कोई लफ्जों से टूटता है प्रीत,
कोई लफ्जों से मिलते है मीत,
अलग अलग कीमत सबकी
लफ्जों से भी मिल जाती है जीत.......
ये पानी की भी कुछ अलग बात,
आसमां से बरसे तो बरसात,
ज्यादा बरसे, होती बाढ़ की बात,
झरने से वो ढूंढे नदी का साथ,
अलग अलग कीमत इसकी
पर पानी है सबकी जरूरत.........
चलो करें अब ये मिट्टी के बात,
कभी हाथ से बन जाती मूरत,
कभी दीवार बनके ढूंढे छत,
कभी अनाज उपजे, वो है खेत,
अलग अलग कीमत उसकी
ये तो इस देश की मिट्टी की बात.......
अब क्या कहे ये जीवन की बात,
जब पैदा हुए, खुशियों के साथ,
बढ़ते चले तो हिम्मत के साथ,
दुनिया छोड़ दे, मरने के बात
अलग अलग कीमत उसकी
जिन्दा नहीं तो राख़ की क्या कीमत?????
