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Archana Verma

Romance

3  

Archana Verma

Romance

कई बार हुआ है प्यार मुझे

कई बार हुआ है प्यार मुझे

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हाँ ये सच है, कई बार  हुआ है प्यार मुझे

हर बार उसी शिद्दत से 

हर बार टूटा और सम्भ्ला 

उतनी ही दिक्कत से 


हर बार नया पन लिये आया सावन 

हर बार उमंगें नयी, उमीदें नयी 

पर मेरा समर्पण वहीं 

हर बार वही शिद्दत 

हर बार वही दिक्कत 

हाँ ये सच है, कई बार  हुआ है प्यार मुझे


हर बार सकारात्मक रह बढ़ चला उसकी ओर 

जिसको देख यूँ लगा 

हाँ के अब शायद न टूटूँ 

उस तरह जिस तरह कभी टूटा था 

पर हर बार वही शिद्दत 

हर बार वही दिक्कत 

हाँ ये सच है, कई बार  हुआ है प्यार

मुझे


हर बार सोचा शायद मैंने ही कोई कमी की 

हर बार दिल ने कहा "नहीं पगली"

उन्हें तेरी भावना का मोल नहीं 

प्यार अँधा तो था पर अब स्वार्थी भी हो चला है 

किसी को भावना नहीं दिखती 

और किसी को शिद्दत से चाहने पे भी 

मोहब्बत नहीं मिलती 

भूल जा उसे जो तुझे छोड़ के बढ़ चला है

वरना यूँ ही पछताती रहेगी 

खुद को बदल वरना मोहब्बत में आँसू बहाती रहेगी 


पर हम तो कवि ठहरे, 

तो कैसे हार मान लेते

फिर ढूंढते रहे किसी की एक नज़र को 

हर बार उतनी ही शिद्दत  से 

हर बार उतनी ही शिद्दत से 



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