STORYMIRROR

Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Inspirational

4  

Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Inspirational

ख्यालों में

ख्यालों में

1 min
424


यादों में हम तेरे ही सवालों में घिर गए

टकरा के ज़िंदगी से विसालों में घिर गए।


आँखे भी ख़्वाब ऐसे दिखाती कभी-कभी

तिल देख के मेरा मेरे गालों में घिर गए।


उड़ती रही ये जुल्फ़े हवा के संग -संग 

लगता यही हैं सोंचकर बालों में घिर गए।


चुपचाप चाँद बनके अभी आए थे यहाँ 

छुपा के चाँदनी को उजालों में घिर गए।


लगने लगा हैं "नीतू "को तुम साथ हो यही

निकलें जो भीड़ से तो ख्यालों में घिर गए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract