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Anurag Negi

Romance

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Anurag Negi

Romance

ख्यालों की कलम से

ख्यालों की कलम से

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वक़्त के समा में एक दीवानगी छाई है,

वर्षो बाद ख्यालों में वो आयी है,

लिखने का मन नहीं था जरा भी,

ख्यालों के पन्नो पर आज भी उसकी ही परछाई है।


बैठता हूँ जब भी कुछ लिखने को मैं,

उसके ख्यालों से मेरे ख्वाबों को

एक नई दिशा मिल जाती है,

लिखने का शौक बहुत है मेरी कलम को,

ख्यालों की स्याही में कलम की नोक डूब जाती है।


लिखता हूं फिर ज़िन्दगी को अपनी,

ख्यालों के मोड़ में, दर्द के शोर में,

इश्क़ के जज्बात में, मोहब्बत की रात में,

चांदनी की चादर में, ख्वाबो के बादल में।


पानी की फुहार में, गीत की झंकार में,

जीत की नाव में, तारो की छांव में,

चाँद के नूर में, शुरभी के सूर में,

आखिर लिख ही लेता हूँ खुद को,

ख्यालों से ख्वाबों के सुरूर में।


उसके ख्यालों का पन्नो में लिप जाना,

ये तो सिर्फ मेरे ख्वाबों का आगाज़ है,

मजबूर कर लेती है वो मुझे लिखने को,

शायद मेरी कलम पर आज भी उसी का राज है।


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