STORYMIRROR

Ajay Prasad

Abstract

4  

Ajay Prasad

Abstract

ख्याल करता है

ख्याल करता है

1 min
261

आइना मुझ से अक़्सर ये सवाल करता है

कौन अब इस घर में तेरा ख्याल करता है ?


कौन सुनता है भला चिखें तेरे नसीहतों की ?

क्यूँ बेवज़ह ही फिर तू ये बवाल करता है ?


उम्र ढल गई शबो-रोज़ जुगाड़ के ढलानों पे

जो मिला नही ,उसका क्या मलाल करता है ?


तकसीम हो के रह गया तू अपने औलादों में

वक्त भीअब तूझे टुकड़ों में इस्तेमाल करता है।


सांसों को है इन्तज़ार अब आखिरी नेमत का

देखें खुदा किस दिन मुझे मालामाल करता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract