ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
न जाने क्यों ख्वाहिशें भी दम तोड़ने लगी हैं मुझसे टकरा कर
इन्हें भी शायद एहसास होने लगा है मेरी औकात का
न जाने क्यों ख्वाहिशें भी दम तोड़ने लगी हैं मुझसे टकरा कर
इन्हें भी शायद एहसास होने लगा है मेरी औकात का