ख्वाहिश
ख्वाहिश
मैंने कहा जिंदगी से,
क्या तू चाहती है!!
क्यों हो इतना इतराती,
हर चीज के लिए हो तरसाती!!
न भरोसा अब तेरा,
की कब तक तुम साथ निभाओगी ,
आज हो मेरी कल किसी और की हो जाओगी !!
बस यही है एक ख्वाहिश मेरी,
जब तक हो तुम मेरी,
कर सको कुछ ऐसा,
की जग में तुम मेरे बाद भी मेरे नाम से जाओ जानी,
जिसने मुझे पाला- पोसा,
उन्हीं का नाम चमकना है जरा सा,
ला सकूँ मुस्कान,
हर उस चेहरे पर जो है मेरे आस पास!!
ऐ जिंदगी तुम हर दिन बदलती हो,
कभी अपनों के साथ से महकती हो,
कभी अकेलेपन से रुलाती हो!!
आज है मायूसी,
तो कल है ख़ामोशी,
और अगले ही पल चहचहाती है ख़ुशी!!
जिंदगी ने कहा,
रखना सदा यकीन,
जितना मैं तुझे अभी तपाऊंगी,
उतना ही में तुझे चमकाऊँगी!!
क्यूंकि तप के ही तो कोयला हीरा है बनता,
और सब में अलग ही है चमकता!!
यह हौसला कम न देना होने,
न रुकना और ना ही तू थकना,
माना आज घोर अँधेरा,
पर जल्द ही होगा उजला सवेरा!!
हर ख्वाहिश होगी पूरी,
जब कोई भी कोशिश न होगी अधूरी!!