ख्वाबों की साखी
ख्वाबों की साखी
लाखों में से अलग है हंसीं चेहरा तेरा
फूलो से ज़्यादा नाज़ुक है हुस्न तेरा
तुझे चाँद की चांदनी कहूँ
या फिर सितारों की ग़ज़ल।
हर जगह ही बिखरा हुआ है शबाब तेरा
तू लगती है हुस्न की मलिका साखी
जिस्म से ज़्यादा खूबसूरत मन है तेरा
मासूमियत है सागर सी।
चपलता है लहरों सी,
क्या ख़ूब सादगी भरा चेहरा है तेरा
तू छू पत्थर को वो भी धड़क जाये
बहुत ही अद्भुत दीवाना सा।
स्पर्श है तेरा
वो हवा भी तुझे छूकर पवित्र हो जाती होगी
जब जब भी हवा का झोंका स्पर्श लेता है तेरा
तू ख़ुदा की नायाब कारीगरी हैं साखी
विजय ख़ुदा से ज़्यादा सज़दा करता है तेरा।

