ख़्वाब
ख़्वाब
आँखों में लिए ख़्वाब कई,
हक़ीक़त में भी तुझे सजाने हैं,
कोई साथी न मिले अगर राहों में,
तुझे अकेले ही फ़ासले मिटाने हैं।
हिम्मत रख और आगे बढ़,
कामयाबी कर रही इंतज़ार तेरा,
क्यों रखे उम्मीद किसी से,
ख़्वाब तो तुझे ही करना है पूरा।
देखते हैं ख़्वाब सब बंद आँख से,
एक बार आँख खोलकर तो देख,
रास्ते बन जाएँगे अपने-आप ही,
हक़ीक़त में बदलते दिखेंगे ख़्वाब सभी।
