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SHAMANA GONDALIA

Romance Fantasy

3  

SHAMANA GONDALIA

Romance Fantasy

ख़्वाब

ख़्वाब

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हर रोज़ यूं ख्वाबों में आया न कर,

आज भी में तेरी हूं, ये जताया न कर...

उलझने अभी तक सुलझी नहीं,

यूं रोज़ मिल के तू बढ़ाया न कर...

वक्त चहिए मुझे तुझसे निकलने को, 

यूं बेवक्त आ के नींद चुराया न कर...

मुआफिक है ये खामोशियां अब मुझसे,

तू कह के यूं बात बिगाड़ा न कर...

गम, खुशियां कुछ रास नहीं मुझे अब,

यूं चुपके से आ के तू मुस्कुराया न कर...

ख़्वाब की तरह ज़िंदगी भी बिखरी है,

तू धीरे से आ के उसे सहलाया न कर...

मेहनत खूब लगती है, फिर से पटरी पे आने को,

मंज़िल से मुझे तू भटकाया न कर...

हर रोज़ यूं ख्वाबों में आया न कर...!

                    


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