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ख्वाब उनके सताने लगे हैं

ख्वाब उनके सताने लगे हैं

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ख्वाब उनके सताने लगे हैं,

वो ख्यालों में आने लगे है,

आठों पहर नींद आती नहीं,

हर पहर वो जगाने लगे हैं।


कोई नगमा सी लगती है वो,

हम नज़म गुनगुनाने लगे हैं,

अपनी जुल्फों की रंगत तो देखो,

शाम फिर से सजाने लगी है।


बन सवर के न निकला करो,

अब अजय मुस्कुराने लगे है,

अपने मुखड़े पर पर्दा करो,

कदम सबके डिगाने लगे हैं।


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