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Satish Chandra Pandey

Romance

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Satish Chandra Pandey

Romance

खूबसूरत हो

खूबसूरत हो

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खूबसूरत हो मगर

कैसे कहूँ कैसे हो,

किसकी उपमा दूँ

और बोलूं कि ऐसे हो।

पुराने कवियों ने

कहा कि फूल हो तुम

अब बताओ नया 

क्या कहूँ कि क्या हो तुम।

परन्तु कुछ तो कहूँ

लेखनी की जिद है यह,

कह रही श्वास का 

सहारा हो, लिख दे यह।

जिन्दगी खूबसूरत है

कि आप हो इसमें,

मन रमा है सब खिला है

आप हो इसमें

कपोल आपके

जिन्दगी का दर्पण हैं,

नैन आशा है, मन की

नासिका गुमान सी है।

सुबह की लालिमा है

होंठ में सजी लाली,

नैन में रम रहा 

जो काजल है

मनोहर सांझ का 

लगता पल है।

समूचा चेहरा यह

क्या लिखूं किस कि कैसा है

पेड़ में लग रहे 

लाली लिए फल जैसा है।


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