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Sunita Shukla

Inspirational

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Sunita Shukla

Inspirational

खुशियों की धूप

खुशियों की धूप

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ए ज़िंदगी तुझे हम किताबों में ढूँढते रहे

और तू मेरे करीब से गुजर गई बिना कुछ कहे,

तन्हाई की ओढ़कर चादर दुबकी रही

अपनी खुशियों को दामन में समेटे, ख़ामोश...। ।


होश आया तो कुछ भी न था पास

और था तो सिर्फ....., 

चिंता की कुछ लकीरें और मन में अरदास

जब इसे खुद ही कमाया तो फिर भला क्यों मन है उदास।।


हम भूल गए उन बातों को 

हँसते दिन और मुस्कुराती रातों को।

जो सुख के फूल सुहाने थे

याद रखा तो बस गम की सेवाओं को।।


कभी सोचकर देखो ये कहाँ आ गये हैं हम

कहाँ से चले थे

और कहाँ आकर रुके ये कदम।

ज़िंदगी की हर शाम है उदास 

और भरे हैं हजार गम।।


क्यों न आस की कुछ निर्मल बूँदों से

जीवन के सारे गमों को धो लें।

थोड़ी मन की बातें कर लें

थोड़ी सी मुलाकातें कर लें ।।


चलो जिंदगी को एक नया मोड़ देते हैं

आँचल में थोड़ी खुशियों की धूप समेटते हैं।

स्नेह भरे कुछ खट्टे-मीठे बोल बोलते हैं

और दिल में आशाओं के मोती सींचते हैं।।


दिल की तंग गलियाँ खोलकर 

कुछ कदम आगे बढ़कर 

अपनेपन के खूबसूरत अहसासों में लिपटी

रजत चाँदनी बिखेरते हैं।।


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