खुदकुशी
खुदकुशी
हज़ारों साल जियो तुम, ऐसी माँ ने दुआएँ दी थी,
पर यह साल कुछ ही दिनों में गुज़र क्यों गया?
तुमने सोचा नहीं करोगे माँ की दुआ बेअसर
पल में तू मोतियों सा तू बिखर क्यों गया?
ज़िन्दगी क्या है यह जानने के लिए
ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है।
ख़्वाब देखे पर तुमने अपनी नींदों को
गोलियों की नज़र क्यों किया?
आदमी क्या है एक बुलबुला पानी का
मिट के बनता है बन के मिटता है,
पर इस बुलबुले को समुन्द्र निगल क्यों गया?
आईना भी झूठ बोलना सीख गया,
मेरा हँसता हुआ चेहरा मुझे दिखता है।
रूह कितनी है टूटी हुई मेरी
यह हर वक़्त मुझसे छिपता क्यों गया?
वो जो फूलों की तरह पाला था
जिसने फूल चुनने को तेरे
वह अकेला आज रह क्यों गया?
जाना आसान था जीना मुश्किल ,
तू आसान सफ़र पे निकल क्यों गया?