ख़ुदग़र्ज़ प्यार
ख़ुदग़र्ज़ प्यार
देकर फ़ूल गुलाब का, जोड़ें दिल के तार
सौदा कैसा कर रहें, आज यहाँ दिलदार।
आज यहाँ दिलदार, नहीं मिलते हैं सच्चे
ख़ुदग़र्ज़ी का प्यार, बनाऐं रिश्ते कच्चे l
बोलें लाखों झूठ, प्यार का वादा लेकर
जाते हैं फ़िर भूल, सनम को झाँसा देकर।

