जाते हैं फ़िर भूल, सनम को झाँसा देकर। जाते हैं फ़िर भूल, सनम को झाँसा देकर।
इक शोर सा है मुझमें जो खामोश बहुत है कभी फिकर मेंं रहता मेरी तो कभी रहता बेख़बर मुझसा ही यह भी म... इक शोर सा है मुझमें जो खामोश बहुत है कभी फिकर मेंं रहता मेरी तो कभी रहता बेख़...