हर कोई इस तरह रम गया है , मानो उसे भी ना पता कि वो कौन है। हर कोई इस तरह रम गया है , मानो उसे भी ना पता कि वो कौन है।
इक शोर सा है मुझमें जो खामोश बहुत है कभी फिकर मेंं रहता मेरी तो कभी रहता बेख़बर मुझसा ही यह भी म... इक शोर सा है मुझमें जो खामोश बहुत है कभी फिकर मेंं रहता मेरी तो कभी रहता बेख़...
दरबदर भटकती की एक नजर को , मंजिल-ऐ-कशिश का सहारा मिला । दरबदर भटकती की एक नजर को , मंजिल-ऐ-कशिश का सहारा मिला ।