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Šöüŕãbh Këwât

Others

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Šöüŕãbh Këwât

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फकी़री मुकद्दर

फकी़री मुकद्दर

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दरबदर भटकती की एक नजर को ,

            मंजिल-ऐ-कशिश का सहारा मिला ।

दरिया-ऐ- समंदर भटकती एक लहर को ,

            महफूज एक किनारा मिला ।।


मुकद्दर की हर ख्वाहिश को ,

            गुमनाम सा एक इरादा मिला ।

किसी को मिली खुशियां ,

            किसी को गम ज्यादा मिला ।।


वक्त के मिजाज पर चलने को ,

            मंजिल का एक बहाना मिला ।

किसी की लुट गई सारी दुनिया ,

            किसी को सारा जमाना मिला ।।



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