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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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खुदा हो जाना

खुदा हो जाना

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मिलकर  किसी से जुदा  हो जाना

अच्छा  होते-होते  बुरा  हो  जाना


इश्क़ के सफर में काँटे हीं काँटे हैं

इश्क़ करना तो इश्क़ में फ़ना हो जाना


बहुत मुश्किल है अब बचपना यारों

कितना आसान था  बड़ा हो जाना


मेरे पास से गुज़रना तो ऐसे गुज़रना

मुझे पत्थर करना औ तुम हवा हो जाना


मैं जो कल था आज भी वही हुँ वही रहूँगा

तुम मुझसे बिछड़ कर खुदा हो जाना! 


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