खुद पर विश्वास
खुद पर विश्वास
खुद पर हो विश्वास तो
तक़दीर का लिखा भी बदल जाता है
मिलता है आसमान उसी को
जो कर्म की राह पर चलता है।।
मत बैठ मुसाफिर तकदीर के भरोसे
खाली हाथ रह जाएगा
कर्म कर कर्म ही तुझे सफलता की
सीढ़ी तक लेकर जाएगा।।
मेहनत की ज्वाला में तपेगा यह तन
तभी तो सोना बनकर निखरेगा
तकदीर की छांव में पुष्पित हुआ जीवन
नीरस बनकर रह जाएगा।।
तकदीर की चारदीवारी में बैठकर
सफ़र का कैसे मज़ा ले पाएगा
कर्म के मीठे फल का कैसा होता स्वाद
तू चख भी ना पाएगा।।
नसीब से क्या मिला क्या नहीं
मत कर तू इसका हिसाब किताब,
बस तू मेहनत कर
जो नहीं लिखा तक़दीर में वो भी मिल जाएगा।।
हौसला रख खुद पर
कर्म की एक चिंगारी तू जगा अपने अंदर
तकदीर संवर जाएगी तेरी
और मिल जाएगा खुशियों का समंदर।।