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Anuradha Negi

Inspirational

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Anuradha Negi

Inspirational

आखिर कैसे

आखिर कैसे

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उम्र थी उसकी तब मात्र छः साल

जब सर से गया पिता का साया, 

हाय समय ने क्या अन्याय किया 

ना आगे पीछे कोई न दायाँ बायां। 


जैसे तैसे पांचवी की उसने जिद से

फिर माँ ने उसकी थी मान ली हार

अक्षर बोध हो गयी है बिटिया मेरी

अब आगे असहनीय गरीबी की मार। 


हाथ पीले होंगे तेरे, आयेगा राजकुमार

नन्ही कली समझे ना ये विवाह का सार

बाल विवाह नहीं, पर थी नाबालिग ही

गांव था, वहाँ कौन बताये कानूनगी। 


मैं पढूंगी माँ फिर गरीबी दूर हो जायेगी

मुन्ना भैया पढ़ेगा मैं भी दफ्तर जाऊंगी, 

हट न कर, सही नहीं है समाज को देख

झर झर आँसू गिरे दिये फिर घुटने टेक।


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