करमा
करमा
हर काम बेझिझक करते हो
पर क्या काम की खबर भी रखते हो
पानी में कंकर फेंक तुम मजे लेते हो
क्यों जल प्राणियों को कष्ट देते हो
स्वान के खाद्य में द्रव्य मिलाकर हंसते हो
तुम्हें स्वादिष्ट खाद्य नसीब होगा कैसे सोचते हो
हाथी को अजन्मे संतान के संग मारकर बेफिक्र रहते हो
निरीह जीव की हत्या कर तुम शांति से कैसे रह सकते हो
गरीबों की दशा को अमीरों के कागज़ों से तोलते हो
कब तक इन पैसों के गर्व में ज़िंदा रह सकते हो
शायद आज वह जहां है कल तुम भी वहां हो सकते हो
क्रूर - घमंड के साथ आखिर कब तक जी सकते हो
अच्छे बुरे हर कर्मों का फल मिलता है
हर करम का हिसाब ऊपर वाला रखता है
भले ही इंसान अपने कर्म भूल जाता है
यह करमा, न्याय याद दिलाता है।