खत, कर्ज़
खत, कर्ज़
ख़त एक लिखा था हमने
दिल की गहराई में छुपा लिया,
बार-बार सौ बार पढ़ते रहे
तेरा पता लिखना भूल गए।
कर्ज़
मुठ्ठी भर रेत का कर्ज़ था
खून से चुका दिया हमने,
शायद घाटे का सौदा था
बाक़ी ज़िंदगी दे कर चुका देंगे।
ख़त एक लिखा था हमने
दिल की गहराई में छुपा लिया,
बार-बार सौ बार पढ़ते रहे
तेरा पता लिखना भूल गए।
कर्ज़
मुठ्ठी भर रेत का कर्ज़ था
खून से चुका दिया हमने,
शायद घाटे का सौदा था
बाक़ी ज़िंदगी दे कर चुका देंगे।