खत होते हैं खास
खत होते हैं खास
लिखने हैं कुछ खत उन्हें, जो नहीं है मेरे पास,
दूर सही, है पास नहीं, पर है वो मेरे कुछ खास,
पिरोने है कुछ शब्द मुझे, कहने को कुछ एहसास,
मिटाकर जो दूरी को, हरिया दें रिश्तों की घास।
खत ही से तो जुड़ते हैं, दिल से दिल के तार,
खत ही होते हैं, एहसासों की ख़बरों के अखबार,
खत ही बन झरोखा, खोलें यादों का घर संसार,
खत ही पहुँचाते रिश्तों को, एक दूजे का प्यार।
भोर की झुटपुट से रातों की झिलमिल तक,
यादों की कंपट से उनके चेहरे की खिलखिल तक,
मेरी बातों के जज्बातों को उनके दिल तक,
बनकर पुल पहुंचा दे मुझ को जो मंज़िल तक।
ऐसे ही कुछ खत लिखने हैं, हर अपने को आज,
ये ही बनकर पहुँचेंगे, उनके दिल तक मेरी आवाज़,
महसूस करें वो मुझ को, जैसे हूं मैं उनके पास,
पहुंचे टुकड़ा कागज़ का जो, वो बन जाए इतना खास।