खंजर पैदा करते हो
खंजर पैदा करते हो
तुम कौन से डर में हो और कौन सा डर पैदा करते हो,
हमारी शागिर्द में हमारे ही रसूलों में खंजर पैदा करते हो।
यह जमीं अब न बंटेगी धर्म के आधार पर,
ना बंटेगी तुम्हारे किसी जिहाद ए आतंक पर,
क्योंकि यह जमीं नहीं हमने खेला मां की गोद है,
अब सर कटेगें मंजूर कुछ नहीं समझौते के ढेर पर।
जिन्हें यह जमीं उदर लगती है पालने से घेरने को,
वह इकतरफा चलें जायें जहन्नुम ए लहद घेरने को।
