ख़ुद से यूँ नाराज़ न हो
ख़ुद से यूँ नाराज़ न हो
जब मन होने लगे उदास
छा जाएं बेचैनियां
ठहरना, सोचना रुककर
खुद ब ख़ुद एहसास हो जाएगा
कि रह गईं हैं कमियां कहाँ।
मिल ही जायेगा रास्ता
चल ही जाएगा पता
कमजोरियां थीं ख़ुद में
या था विरोधी सशक्त।
की गईं थीं चालाकियां
तुम्हारे साथ या
की थी तुमने ही नादानियां
पता चल ही जायेगा।
मत रोना प्रारब्ध को
हुआ क्या था तुम्हारे साथ में
सोचना अब आगे होने न पाएं
चालाकियां।
किसी और के साथ भी
धर्म होना चाहिए तुम्हारा
उबरो खुद भी प्रारब्ध से
उबारो दूसरों को भी।
