खेल
खेल
दिल से न खेलो
कठपुतली का खेल
ऐसे न ही होगा
तेरा किसी से मेल
कभी हँसी साथ
कभी उड़ते जज़्बात
अब जब वक़्त खत्म
निकले गुस्से का रेल।।
कभी का गिरफ्तार
तेरे इश्क़ में तिरस्कार
पाकर अब हूँ छुटा
तोड़कर के जेल।
दिल से न खेलो
कठपुतली का खेल
ऐसे न ही होगा
तेरा किसी से मेल
कभी हँसी साथ
कभी उड़ते जज़्बात
अब जब वक़्त खत्म
निकले गुस्से का रेल।।
कभी का गिरफ्तार
तेरे इश्क़ में तिरस्कार
पाकर अब हूँ छुटा
तोड़कर के जेल।