Dr.Pratik Prabhakar
Tragedy
दिल से न खेलो
कठपुतली का खेल
ऐसे न ही होगा
तेरा किसी से मेल
कभी हँसी साथ
कभी उड़ते जज़्बात
अब जब वक़्त खत्म
निकले गुस्से का रेल।।
कभी का गिरफ्तार
तेरे इश्क़ में तिरस्कार
पाकर अब हूँ छुटा
तोड़कर के जेल।
चाँद लौटा दो
बुद्धम शरणम
विजय गीत
निद्रा के शरण
ढूंढना आकाश म...
शुभरात्रि
मेरा दिल धड़के
अमर रहें
एक भारत
यादों के पैसे
जानते हैं वे जल, जंगल, जमीन खोने का दर्द। जानते हैं वे जल, जंगल, जमीन खोने का दर्द।
मैं दिल से मजबूर हूँ अपने और वो दुनियादारी से। मैं दिल से मजबूर हूँ अपने और वो दुनियादारी से।
बस रिकार्ड बाबू हमे समझो बना कर रख दिया नई शिक्षा नीति ने शिक्षक को बाबू बना दिया। बस रिकार्ड बाबू हमे समझो बना कर रख दिया नई शिक्षा नीति ने शिक्षक को बाबू बना ...
हर प्राणी बेचैन है, धरती हुई अधीर। इंद्रदेव कर के कृपा, बरसा दो कुछ नीर।। हर प्राणी बेचैन है, धरती हुई अधीर। इंद्रदेव कर के कृपा, बरसा दो कुछ नीर।।
अब पहले जैसा भी कुछ नहीं रहा बस खालीपन है आंखों में सबके और दिल में घोर सन्नाटे . अब पहले जैसा भी कुछ नहीं रहा बस खालीपन है आंखों में सबके और दिल में ...
यही फलन है जब नवपीढ़ी आँसू से सन जाती है सहिष्णुता जब हद से बढ़ती कायरता बन जाती है ... यही फलन है जब नवपीढ़ी आँसू से सन जाती है सहिष्णुता जब हद से बढ़ती कायरता बन जाती ह...
कुछ टूट रहा था, कुछ छूट रहा था, लेखन से नाता टूट रहा था। कुछ टूट रहा था, कुछ छूट रहा था, लेखन से नाता टूट रहा था।
हौले हौले से बढ़ते ये कदम, और इनमें बहुत सारा तेरा ग़म। हौले हौले से बढ़ते ये कदम, और इनमें बहुत सारा तेरा ग़म।
मुलजिम हो तुम अपने ही तबके की उन तमाम नवजातों की. मुलजिम हो तुम अपने ही तबके की उन तमाम नवजातों की.
सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है। सात दिनों के सात रंग में रंगी हुई इसकी प्रेम कहानी है।
सवाल है सत्ता में बैठे हुये हुक्मरानों से, क्यों नहीं बाज आते हो फालतू बयानों से। सवाल है सत्ता में बैठे हुये हुक्मरानों से, क्यों नहीं बाज आते हो फालतू बयानों...
बिखर रहा है किसी नीड़ सा, तिनके- तिनके प्यार । बिखर रहा है किसी नीड़ सा, तिनके- तिनके प्यार ।
अब स्वतंत्र है वो तो पराश्रित मैं भी नहीं इस अर्थहीन पानी का अर्थ कुछ भी नहीं। अब स्वतंत्र है वो तो पराश्रित मैं भी नहीं इस अर्थहीन पानी का अर्थ कुछ भी नहीं...
दूर कहीं दिख रहा था एक अस्थि पिंजर, जिस पर रह गया था बस मॉंस चिपक कर। दूर कहीं दिख रहा था एक अस्थि पिंजर, जिस पर रह गया था बस मॉंस चिपक कर।
नौकरी कर घर लौटती औरत बेहद थकी होती है. नौकरी कर घर लौटती औरत बेहद थकी होती है.
मेरे हिंदू मुस्लिम बच्चों को आपस में लड़ाया जाता है मेरे हिंदू मुस्लिम बच्चों को आपस में लड़ाया जाता है
जीवन से बड़ी प्रयोगशाला इस दुनिया में और कोई नहीं है। जीवन से बड़ी प्रयोगशाला इस दुनिया में और कोई नहीं है।
देखो रेल की पटरी के किनारे बनी ये बस्तियां, है उघड़े दरवाजे औ झांकती बंद खिड़कियां। देखो रेल की पटरी के किनारे बनी ये बस्तियां, है उघड़े दरवाजे औ झांकती बंद खिड़...
इस जीवन के बाद क्या पता, कौन सी राह पर फिर कहाँ मिलें? इस जीवन के बाद क्या पता, कौन सी राह पर फिर कहाँ मिलें?
आखिर क्यों लाखों परिवार न्याय से वंचित रह जाते है। आखिर क्यों लाखों परिवार न्याय से वंचित रह जाते है।