कहानी तेरी मेरी
कहानी तेरी मेरी
क्या लिखूं कहानी तेरी मेरी
कुछ समझ नहीं आता मेरी
यह कहानी है उस समय की जब मैं कॉलेज में पढ़ा करता था
दिल ही दिल में उस छिपकली पर मरा करता था
मैं उसके आगे पीछे मेंढक की तरह टर टर किया करता था
हकीकत में उसको छिपकली ही में कहा करता था
मैं जानता था मेंढक बंद करो उसके दिल में रहा करता था
मैं जानता था मेंढक बन कर उसके दिल में रहा करता था
मगर कभी भी उसको कहने से मैं डरा करता था
अक्सर वह बैठी रहती है दूसरों के साथ में करती रहती बात दूसरों की मैं सुना करता था
दिन बीतते चले गए मैं सोचता रहा कभी तो उसे पता चलेगा किंतु ऐसा हो ना सका मैं फिर भी इंतजार करता था
एक दिन रहा न गया मैंने उसको जाकर कह दिया कि मैं तुम पर मरता हूं बहुत दिन से तुम्हें प्यार करता था
उसने आव देखा ना ताव देखा मुंह पर मारा चाटा
बोली जानती हूं तू प्यार करता था
मगर यह बता कहने से तू क्यों डरता था, क्या तुझे मैं चुड़ैल लगती हूं जो तू इतना डरा करता था
आज तूने बहुत देर कर दी मैंने अभी किसी के लिए हां कर दी तुमको पहले इकरार करना था
मैं सुनकर थोड़ा घबराया पकड़े उसके बाल पीछे से और उस को गले लगाया और लिप कर डाला
आज करता हूं कल भी करते रहूंगा और पहले भी करता था
किसी और की होने नहीं दूंगा चल आज के आज ।फेरे लूंगा इतिहास रचना था
इतिहास रच के रहूंगा क्योंकि मैं तुझ से प्यार करता था
बस फिर क्या था हो गई हमारी शादी अब हम दोनों एक हैं
वह मेरे छिपकली मैं उसका मेंढक बन कर रहता हूं
कल भी प्यार था आज भी है आगे भी रहेगा
यह कहानी है तेरी मेरी यह कहानी शिव कहता था ।

