कहाँ मगर उपचार
कहाँ मगर उपचार
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
शिक्षा को अधिकार बनाया,
मगर कहाँ उपचार देख लो।
निजी दुकानें खुली हुई है,
करती है व्यापार देख लो।
जो मौलिक अधिकार बनाए,
उनकी रक्षा कौन करेगा।
लाभहानि जो देख रहा हो,
वह तो केवल पेट भरेगा।
और पेट क्या कभी भरा है ?
बढ़ता कारोबार देख लो।
निजी दुकानें खुली हुई है,
करती है व्यापार देख लो।
बस्तों का आकार बढ़ा है,
कितना बोझा लादे बचपन।
खिलती कलियां झुलस रही है,
सूख रहा है जीवन गुलशन।
उसका तन निरोग कैसे हो ?
जिस पे इतना भार देख लो।
निजी दुकानें खुली हुई है,
करती है व्यापार देख लो।
छूट गए हैं खेल-कूद सब,
खेलों के मैदान कहाँ है ?
चमक रहे दिनमान बने हम,
पर कल के सुल्तान कहाँ है।
नौकर बनकर खुश होते पर,
स्वाभिमान पे वार देख लो।
निजी दुकानें खुली हुई है,
करती है व्यापार देख लो।
लूट रहे हैं "अनंत" पल-पल,
भुना रहे हैं कमजोरी को।
संरक्षण सरकार दे रही,
है इनकी सीनाजोरी को।
मकड़ जाल में फंसा रहा है,
पग-पग पर व्यवहार देख लो।
निजी दुकानें खुली हुई है,
करती है व्यापार देख लो।