कहाँ जा रहे हैं
कहाँ जा रहे हैं
बिना लक्ष्य के हम कहाँ जा रहे हैं,
अनजाने सफर में खुद को कहाँ पा रहे हैं।
कहतें है वो है तो मुमकिन है,
कर्म के बिना सब नामुमकिन है।
रास्ते हमने कब देखे हैं,
चलने के हौसले कब परखे हैं।
आज फिर चल दें अनजाने सफर पर,
दें तरक्की कर्म सेवा कर।
बिना लक्ष्य के हम कहाँ जा रहे हैं,
अनजाने सफर में खुद को कहाँ पा रहे हैं।