STORYMIRROR

Navin Madheshiya

Tragedy

2  

Navin Madheshiya

Tragedy

कहाँ गया वह प्रकृति पुत्र

कहाँ गया वह प्रकृति पुत्र

1 min
286

आज बली चढ़ गई

एक परवाने की।


कट गया उन्नति के नाम पर

था वह प्रकृति प्रेमी पर।


खत्म हो गया आधुनिकता के नाम पर

आज फिर जरुरत थी

एक और बहुगुणा की।


पर नहीं दिया उसे कोई दिखाई

इसलिए सो गया वह चिर निद्रा में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy