खामोशी...
खामोशी...
तुम कोशिशें इतनी खामोशी से करना
कि कामयाबी यक़ीनन शोर मचाए...!
तुम दुनिया को देखने दो
कि तुम्हारी क़ाबिलीयत, जो
औरोंं ने कद्र न की,
कैसे अपना पंख फैलाकर
उड़ निकलने को बेताब है...!!
हाँ, तुम कोशिशें इतनी खामोशी से करना
कि कामयाबी यक़ीनन शोर मचाए !!
तुम खरगोश, बेशक न बन पाओ,
मगर कछुए की चाल चलो...
देखना, एक दिन दुनिया
तुम्हारी कद्रदान होगी,
और तुम्हें कोई मलाल न होगा...!!
हाँ, तुम कोशिशें इतनी खामोशी से करना
कि कामयाबी यक़ीनन शोर मचाए...।
