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Zuhair abbas

Fantasy

4  

Zuhair abbas

Fantasy

खामोश रातें

खामोश रातें

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ऐ रात मेरे राज़ पोशीदा रखना

मेरी अक्सर नम हुईं आंखों का राज़ पोशीदा रखना।


वो यादें, वो बातें, वो अंधेरों में बैठकर रोना

तु अपनी आगोश में सब समेट कर पोशीदा रखना ।


मेरे बेज़ुबां लफ़्ज़ों के हर अल्फाज़ का तुझे इल्म है

इन सि याह रातों में मेरे हालात पोशीदा रखना।


मेरी सिसकियां ,मेरे आवाज़ मेरी ख्वाहिशें तुझे मालूम होगी

ऐ मेरे हमराज़ मेरी ज़िन्दगी पोशीदा रखना।


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