केवल नारी
केवल नारी
क्या मैं अबला हूँ
नहीं नहीं मैं सबला हूँ
नहीं नहीं मैं नारी हूँ।
तुम जो सोच भी न सको,
उतनी सामर्थ्यवान हूँ।
जिम्मेदारियां चाहे कंधों को नीचा कर दे,
लेकिन गर्दन नहीं झुकती।
ऐसी दृढ़शक्ति की प्रतिमान हूँ।
चार दिवारी में क़ैद थी कभी,
तब भी मैं शक्तिमान थी।
तुम्हें जनते वक़्त पीड़ा जानलेवा थी,
लड़ती रही मैं, क्योंकि मैं माँ होने वाली थी।
क्या तुम उस दर्द की कल्पना कर सकोगे ?
मेरे पास दर्द हैं, क्योंकि मैं सहनशील हूँ
ऊपरवाले की अद्भुत संरचना हूँ।
घर में भी, घर से बाहर भी
हर तरफ जूझती हूँ मैं।
कठिनाइयाँ मेरे पास कितनी सारी,
फिर भी हर मोरचे पे विजयी हूँ मैं।
ललक हैं नारी होके भी मंज़िल पाने की,
सम्मान के लिए मरी हूँ मैं
सीमा से परे तक श्रमशील हूँ।
क्यूँ मुझे अबला कहते हों ?
तुम्हारी जितनी मैं भी सक्षम हूँ।
तुम नहीं कमजोर तो तुम्हें
जन्म देने वाली मैं कैसे ?
खत्म करो 'अबला' और
'सबला' जैसे शब्दों को।
ये नारी के अस्तित्व से मेल नहीं खाती
जैसे तुम 'पुरुष' हों, वैसे ही मैं 'नारी' हूँ
केवल 'नारी'।