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Pratham Raj Wadhwa

Inspirational

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Pratham Raj Wadhwa

Inspirational

केसरी

केसरी

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जब जब काली रुदन होगा, 

नीरव पड़ी अधित्यकाओं पर 

तब तब स्पंदन भी होगा, 

धमनी में निष्ठुर मन की ।


रक्त स्तरित मरुधर को थामें 

अम्बे अजय गीत सुनाती हैं 

मुझ भोले स्पंदित मन को 

संदीप्त किए चली जाती है ।


विशाल जटाएँ लेकर जब

अरुधर तिमिर मिटाता है

तुझ सिंदूरी में अपना नारंगी 

स्मविलीन किए जाता है ।


माँ तेरा बेटा रंग कूटकर 

तुझे तिलक लगाएगा 

मेरा भोला मन ,आज 

तुझे केसरिया ओढ़ाना चाहेगा ।।


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