कभी पसीने से दामन
कभी पसीने से दामन


कभी पशीने से दामन
भिगो कर तो देख।
सपना, हकीकत में होगा
तब्दील, जाग कर तो देख।।
मिल भी जायेंगे
राहें सफर में, तमाम लोग।
किसी को अपना कभी
बनाकर तो देख।
उलफ़त के रास्ते
बहुत तंग ही सही।
नज़र न आती, मंजिल ही सही
थक मत, चलकर तो देख।
कहते हैं मुहब्बत लेने
का नहीं, देने का है नाम।
आज भी है, जिंदा एतबार
दिल किसी को, देकर तो देख।
अंधेरा कितना भी, गहरा सही
रौशनी का निशां बाकी ना सही।
ना बन सके, चांद सितारे
कभी जुगनू बनकर तो देख।
जन्मों के, पुण्य से
पाया इंसा का चोला।
नेकी कर, दरिया में डाल
यह भी आजमा,करके तो देख।
माना के दीनों ईमान, की राह
चलना है, बड़ा मुश्किल।
खुदा करेगा, तुझ पर करम
रमजान में कभी, रोज़ा रखकर तो देख।