Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dr. Madhukar Rao Larokar

Abstract

2  

Dr. Madhukar Rao Larokar

Abstract

कभी पसीने से दामन

कभी पसीने से दामन

1 min
233


कभी पशीने से दामन

भिगो कर तो देख।

सपना, हकीकत में होगा

तब्दील, जाग कर तो देख।।


मिल भी जायेंगे

राहें सफर में, तमाम लोग।

किसी को अपना कभी

बनाकर तो देख।


उलफ़त के रास्ते

बहुत तंग ही सही।

नज़र न आती, मंजिल ही सही

थक मत, चलकर तो देख।


कहते हैं मुहब्बत लेने

का नहीं, देने का है नाम।

आज भी है, जिंदा एतबार

दिल किसी को, देकर तो देख।


अंधेरा कितना भी, गहरा सही

रौशनी का निशां बाकी ना सही।

ना बन सके, चांद सितारे

कभी जुगनू बनकर तो देख।


जन्मों के, पुण्य से

पाया इंसा का चोला।

नेकी कर, दरिया में डाल

यह भी आजमा,करके तो देख।


माना के दीनों ईमान, की राह

चलना है, बड़ा मुश्किल।

खुदा करेगा, तुझ पर करम

रमजान में कभी, रोज़ा रखकर तो देख।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract