Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Jeetal Shah

Romance

4.5  

Jeetal Shah

Romance

कभी कभी मुवी

कभी कभी मुवी

1 min
409


कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है

कि ज़िंदगी तिरी जुल्फों कि नर्म छांव में गुज़रने पाती

तो शादाब हो भी सकती थी।


यह रंज-ओ-ग़म कि सियाही जो दिल पे छाई है

तेरी नज़र कि शुआओं में खो भी सकती थी।


मगर यह हो न सका और अब ये आलम है

कि तू नहीं, तेरा ग़म तेरी जुस्तजू भी नहीं।


गुज़र रही हैं कुछ इस तरह ज़िंदगी जैसे,

इसे किसी के सहारे कि आरज़ू भी नहीं


न कोई राह, न मंजिल, न रौशनी का सुराग

भटक रहीं है अंधेरों में ज़िंदगी मेरी


इन्हीं अंधेरों में रह जाऊंगा कभी खो कर

मैं जानता हूँ मेरी हम-नफस, मगर यूं ही

कभी कभी मेरे दिल में ख़याल आता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance