कभी जनाब नजर उठा के देखा किजिए
कभी जनाब नजर उठा के देखा किजिए
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कभी जनाब नजर उठा के देखा किजिए
ऐसे ही खोये न अपने में यूं रहा किजिए
ये दर्द , शिकवे, शिकायतें क्या है, कुछ भी नहीं
कैसे कैसे हैं बीमार ,उनकी दुआ कीजिए
खुदी में खोये हैं इतने क्यूं ,हम ,खुदा तो नहीं
ये घाव, किस्से ,निशान ये अब दफा किजिए
जरूरी जिंदगी में हैं जिंदगी के सिवा क्या
इसी से साथ हैं सब इसी से वफा किजिए!