कभी भुला तो न दोगे मुझे
कभी भुला तो न दोगे मुझे
"कभी भुला तो न दोगे मुझे"
फ़िरोज़ी मेरे सपने बुनते हैं एक वितान अपने अरमानों के धागों संग तुम्हारी किस्मत की तुरपाई करते, तुम्हारी आगोश में टूटे मेरे तन की कश्मकश कहती है कहो कभी भुला तो न दोगे मुझे...
कहकशाँ को गवाह रखते तुम्हारी हथेलियों ने थामा है मेरी लकीरों को इश्क की आराधना करते मानकर चली मैं अपना खुदा तुम्हें इबादत अधूरी छोड़ कर
कहो कभी भुला तो न दोगे मुझे...
सौंपा है मैंने खुद को तुम्हारी पलकों की छाँव तले रखकर अपने स्पंदनों को तुम्हारी गर्म साँसों की
रवानी में अपने जिस्म की खुशबू को बहा कर खो दिया अपने वजूद को बेपरवाही के आलम में कहो कभी भुला तो न दोगे मुझे...
दिल की गहराई से चाहूँ तुमको तुमसे मिली फुर्कत जो कभी मर ही जाऊँगी सनम जोड़ा है जो रिश्ता शिद्दत से ताउम्र तुम तोड़ना न कभी किसी ओर के बहकावे में आकर कहो कभी भुला तो न दोगे मुझे..
शक नहीं रश्क है मुझे मेरे दीवाने के कई दीवाने ठहरे अपने दिल की संदूक में छिपाकर रख लूँ तुम्हें सिवा मेरे कोई ओर न देखे तुम्हें बस एक ही बात से डरती हूँ
कहो कभी भुला तो न दोगे मुझे..