Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

Dr Alka Mehta

Abstract

4.4  

Dr Alka Mehta

Abstract

कब तक इंतज़ार

कब तक इंतज़ार

2 mins
244


जब-जब घर का दरवाज़ा खुलता है, खुलता है गेट,

लगता है आ ही गया है अपना सोलमेट या फिर होलमेट, 

मेरी नज़र में सोलमेट नहीं है कोई लाइफमेट ,

अगर होता लाइफमेट ही सोलमेट तो क्यों टूटते 

शादी , विवाह और निकाह,


क्यों होते शादी करके लोगों के जीवन तबाह,

अगर होता लाइफमेट ही सोलमेट तो क्यों

लेते आये दिन लोग तलाक ,

तलाक ऐसे लेते हैं जैसे कोई मजाक,

अगर होता लाइफमेट ही सोलमेट तो 

क्यों होतीं घरेलु हिंसाएं,


क्यों हमारे समाज में फैल रही हैं 

बहू-विवाह परम्पराएं,

अगर लाइफमेट ही होता सोलमेट तो दिल टूटते नहीं,

अरमानों के घरोंदे फूटते नहीं,घर टूटते नहीं,

जब-जब एक घर टूटता है तो टूटता है समाज,

जब-जब घर का दरवाज़ा खुलता है, खुलता है गेट,

लगता है आ ही गया है अपना सोलमेट या फिर होलमेट


क्यों तलाक जैसा घिनोना फैल रहा रिवाज,

कहाँ ढूंढूं किसमें ढूंढूं अपना सोलमेट,

कैसे पहचानूँ क्या माता-पिता में,

क्या दोस्तों में,क्या गुरुओं में,

क्या मेरे पड़ोसियों में,


कैसे हो पहचान घूम लिया है जग-संसार,

कब तक करूँ इंतज़ार, 

जब-जब घर का दरवाज़ा खुलता है, खुलता है गेट,  

लगता है आ ही गया है अपना सोलमेट या फिर होलमेट, 


कुछ ऐसे बंधन होते हैं जो बिन बांधे बंध जाते हैं,

क्या वो ही सोलमेट कहलाते हैं,

दिल से दिल को राह होती है,

सब कहते हैं, क्या वो ही सोलमेट कहलाते हैं,

जो दुखी होने पर हम्हें हंसाते हैं,

उलझन में सही दिशा दिखाते हैं, 


जीवन के अंधेरों में बन उजाले छा जाते हैं,

जब कोई बात बिगड़ जाये तो हाथों में हाथ ले हम्हें समझाते हैं,

अगर कहीं हम गिर जाते तो अपना हाथ बढ़ा कर उठाते हैं,

मेरी नज़र में सोलमेट वो है,


जिससे मन ,आत्मा और विचार मिल जाते हैं,

सोलमेट है वो जो बन जाता है जीवन का एक अटूट हिस्सा 

उससे जाकर जुड़ता है हमारे जीवन का हर किस्सा,

जब-जब घर का दरवाज़ा खुलता है, खुलता है गेट,

लगता है आ ही गया है अपना सोलमेट या फिर होलमेट।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract