कौन रोकेगा
कौन रोकेगा
सरेआम हमसे मिलने
यूं आने की मनाही है
ख्वाबों में चले आओ
तो भला कौन रोकेगा
अश्रु में है बादल आंखों जैसे
छाने की मनाही है
मुस्कान बन होठों पर
आ जाओ तो कोई कैसे रोकेगा
घर के दरवाजे बंद हैं
मगर दिल के दरवाजे से
चले आओ तो कोई
कुछ भी कैसे कहेगा
हमसे तो बदले नहीं जाते हालात
तुम हालात में ढल जाओ तो कौन रोकेगा।