जब बोल की जगह चुप्पी हो
जब बोल की जगह चुप्पी हो
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जब बोल की जगह चुप्पी हो
तो अक्सर रिश्ते खामोश मौत मरते हैं
एक दूसरे को दोष देने से
सिर्फ अहम खुश हुआ करते हैं
कोई भी हार या जीत एकतरफा नहीं होतीी
कुछ मेरा कुछ उसका जरूर जाता है
जिसकी अग्नि में रिश्ता खो जाता है
जब बोल की जगह चुप्पी हो
हर मोड़ पर हर कदम पर साथ होने से
दिल से दिल तक की दूरी तय नहीं होती है
कई बार कुछ शब्दों कोई भी जरूरत होती है
जब बोल की जगह चुप्पी हो
रिश्ते में अहम के होने से
दोनों ओर की हार होती है
कुछ मेराा कुछ उसका बिखर जाता है
जब बोल की जगह चुप्पी हो।