कौन कहता है तुम खास नहीं हो!
कौन कहता है तुम खास नहीं हो!
कौन कहता है तुम्हें तुम खास नहीं हो।।
गर्मी में मेरी प्यास हो हो तुम
बारिश में बारिश की बूंद हो तुम
सर्दी में सुहानी धूप हो तुम
सावन में आई हवा का झरोखा हो तुम
पतझड़ में आई बहार हो तुम।
इस दिल में हो रही हर तरह की कशमकश का
हर इक़रार हो तुम
बेवजह हो रही आवाज़ का दीदार हो तुम
आँखों की चमक का सितारा हो तुम
हँसने की वजह का सहारा हो तुम।।
कौन कहता है तुम्हें तुम खास नहीं हो।।
मेरी मोहब्बत का पैगाम हो तुम
मेरे इश्क़ का गुलाब हो तुम
मेरी धड़कनों की सांस हो तुम
और मेरे जीने की तमन्ना हो तुम।।
कौन कहता है तुम्हें तुम खास नहीं हो।।

