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Manju Rai

Inspirational

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Manju Rai

Inspirational

कैसी हैवानियत है

कैसी हैवानियत है

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क्यों समाज हमारा बहरा है 

नारी भी मनुष्य है।


क्यों उसे सम्मान से जीने का हक हो 

क्यों तुम मनुष्यता के स्तर से नीचे गीर चुके हो।


एक तरफ कन्या पूजन ,लक्ष्मी पूजन 

दूजी तरफ कन्या ओ लक्ष्मी का मान मर्दन।


करते हो सरे बाजार ,क्यों सुरक्षित नहीं है नारी 

गलियों से गुजरते हुए सहम जाती है बेचारी।


बातें करते हैं समानता की पर  

क्यों नहीं उतरती ये बातें धरातल पर।


मान के बदले मान औ जीवन के बदले जीवन 

नारी कोई वस्तु नहीं प्रकृति की सौगात है 

हर रूप में ईश्वर का वरदान है।


लगता है ऐसे हैवानो के लिये 

नारी को काली रूप धरना होगा 

समाज में बसे रक्त बीजों के लिये खडग - खप्पर उठाना होगा 

न्याय की गुहार नहीं न्याय स्वयं पाना होगा।


पग - पग पर बसे चंड - मुंडों का सर्वनाश करना होगा 

समाज को स्वच्छ बनाना होगा।


नारी कोमल है कमजोर नहीं 

ममतामयी है पर निर्बल नहीं।


जन्म देकर जीवन का वरदान दे सकती है 

तो अपने मान के लिये मृत्यू का तांडव भी दिखा सकती है।


मान को मोमबत्तियों की चिंगारी में कब तक पिघलाओगे 

कब तक चीख पुकार सुन कर भी अंधे - बहरे बन जाओगे।


समय पर क्यों कोई कदम नहीं उठाते 

हर घर में एक नारी है ये क्यों भूल जाते हो|

 

आज किसी और की हो 

सकता है कल तुम्हारे घर की नारी हो।


सोचो - विचारो वरना पूरा हिन्द इस आग में जलेगा 

ओ कल सारी धरा नारी विहीन हो तो कैसे संसार चलेगा।


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