कैसे से हो तुम
कैसे से हो तुम
बिन कहे मेरे जज़बात समझ लेते हो,
बिन छुए मेरे हालात समझ लेते हो।
मेरी आँखों की नमी का एहसास
मुझसे पहले तुम्हें होता है।
किसे याद किया और क्यों,
ये आभास तुम्हें होता है।
कैसे पता चलता है तुम्हें यह सब?
कभी कभी चिढ़ उठती है
कैसे जानते हो तुम मेरी धड़कनों को!
कैसे बिन कहे समझते हो तुम मेरी तड़पनो को!
एक ही पल में हँसा देते हो मुझे।
वफ़ा का सच्चा मतलब सिखा देते हो मुझे।
कैसे कहूँ ये प्यार नहीं हैं।
मेरा दिल जानता है कि तुझसा और कोई सच्चा यार नहीं है।
ऐसा दिलदार नहीं हैं।
जान-ए-बहार नहीं है।
वो दिन आज भी मेरे लिए सबसे खास है,
जिस दिन पता लगा कि यही प्यार का एहसास है।