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V. Aaradhyaa

Tragedy

4  

V. Aaradhyaa

Tragedy

कांपती हथेलियाँ

कांपती हथेलियाँ

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कुछ सुन्दर सपने व कुछ मासूम उम्मीदें ,

अपने जीवनसाथी से सबके ही होते हैं !


शादी के बाद पत्नी हूर की परी लगती है ,

तो पति भी पत्नी को बेहद अच्छे लगते हैं !


पर धीरे धीरे दोनों चिड़चिड़े होते जाते हैं ,

एक दूसरे से दूर और दूर होते चले जाते हैं !


पति और पैसे कमाने की धुन में लग जाते हैं,

पत्नी के पैर बच्चों के पीछे नाचने लग जाते हैं !


ज़िम्मेदारियों के तले दोनों डूबते चले जाते हैं,

और फिर एक दूसरे को कहाँ प्यार कर पाते हैं !


फिर जैसे जैसे उनके बच्चे बड़े होते जाते हैं ,

आशियाना छोड़कर फुर्र उड़कर चले जाते हैं !


जीवनचक्र के अधीन परिश्रम करते रह जाते हैं,

माता-पिता कभी खुद के लिए कहाँ जी पाते हैं!


अक्सर उन बूढ़ी आँखों के सपने अधूरे ही रह जाते हैं !

ज़ब बच्चे त्योहारों पर भी मिलने आ नहीं पाते हैं !


जीवन के उत्तराध में ज़ब सिर्फ वो दोनों ही रह जाते हैं,

तब एक दूसरे की झूर्रीदार हथेलियों को थाम लेते हैं।


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