कांप उठी धरती
कांप उठी धरती
कांप उठी धरती और कांप उठा नदिया का नीर
लुटा था गाँव को वो दुश्मन लौट आया फिर
हिंमत हारे लोग अपने घरो में छुपाए बेठे सिर
ऐसे में सबको बचाने निकल पड़ा एक शुर वीर
कांप उठी धरती और काप उठा नदिया का नीर
देखो जब उस जाबांज को दुश्मनो ने लिया घिर
पर वह योद्धा रहा विकट स्थिति में भी धीर
ले नाम प्रभु का उसने चलाए दुश्मनों पर तीर
झूम उठी धरती और झूम उठा निदिया का नीर
दिखाया जब उस योद्धा ने अपने कौशल्य का हीर
पर...
पर...
देखो कैसे अंत में वह गया धरती पर गीर
जब उसका ही अपना दुश्मन से गया मिल।
