कान्हा ने सिखाया है
कान्हा ने सिखाया है
कान्हा ने सिखाया है मन में प्रेम की सबके लहर भर दो
जब प्रेम मन हो प्रेम तन हो प्रेम से जीवन अमर कर दो।
ये प्रेम ज्ञानी भी होता हैं प्रेम दानी भी तो होता हैं
रिश्ता रंगकर प्रेम से आँगन मेरा तुम तरुवर कर दो।
सुन प्रेम पूजा प्रेम ही वंदन प्रेमी पूरा ही संसार है
रखना हो जिंदा प्रेम को तो सबकी आत्मा के अंदर भर दो।
भरता झोली जो प्रेम से उसके भरा भंडार रहता है
गर प्रेम पावक प्रेम पानी ना हो तो जमना से तर कर दो।
है प्रेम धरती प्रेम अम्बर प्रेम ही भगवान होता हैं
कान्हा ने सिखाया हैं "नीतू" सबके ही मन में ईश्वर भर दो।
