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Yamini Tomar

Romance Others

4.5  

Yamini Tomar

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कान्हा की दिव्या

कान्हा की दिव्या

1 min
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बचपन से कान्हा के रंग में रंगने वाली दिव्या की कहानी आओ सुनाऊं मैं कान्हा की ज़ुबानी।


एक प्यारी सी कली के रूप में,

अपनी माँ के गोद में आई।


जैसे जैसे बड़ी हुई,

कान्हा रंग में रंग आई।


सबसे कहती कान्हा मेरा,

मैं कान्हा की हरजाई।


करती गुस्सा कान्हा पर जब,

मुंह बना कर बैठ जाती।


फिर आती खुद ही कान्हा को मनाने,

ओर नखरे भी कान्हा को दिखाती।


इस प्यारी सी नोक झोंक से,

कान्हा की दिव्या कह लाई।


कान्हा भी कम छल न करता,

दिव्या को तंग बहुत करता।


पर दिव्या की एक मुस्कान के लिए,

दुनिया भर के ड्रामे करता।


ऐसी हैं, प्यारी सी कहानी।

दिव्या के कान्हा की ज़ुबानी।



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