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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

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Shailaja Bhattad

Abstract Inspirational

कान्हा होली मनावे है

कान्हा होली मनावे है

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होली के छंद है बजने लगे।

दोहा चौपाई संग गाने लगे।

गेर चंग नचाने लगे ।

होली की धूम मचाने लगे।

 चंपा कहे चमेली से।

 गुलाल अबीर सहेली से।

 चल सखी मिले बिहारी से।

 वृंदावन के बिहारी से।

 फुलेरा दूज की बधाई है ।

टेसू ने धूम मचाई है।

गुलाब केसर की बस्ती छाई है 

किशोरी कन्हैया की होली आई है।

 फूलों को मिली बधाई है।

 गोपियों की टोली आई है ।

गोप-गोपी संग धूम मचावे हैं ।

केशवी-केशव रास रचावे हैं।

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रंग दियो ऐसो की रंग नाहीं छूटे ।

किशन तो मोहे रंग गयो रे।

भक्ति से मोहे वो रंग गयो रे ।

नंद को लालो यूँ रंग गयो रे।

भक्ति से मोहे वो रंग गयो रे ।


 कन्हैया को रंग नहीं छूटे रे।

 फगुआ में आओ देखो नंदलालो।

 होली ने रंग बरसायो है। 

फाग ने फगुआ मनायो है।

 रंग रंगीली बांसंती को

 बसंत ने खूब सजायो है ।

राधा संग कान्हा रास रचावे है।

 ग्वाल गोपियाँ रसिया गावे है ।

खेले फूलों की होली लट्ठमार होली।

 रंगों की होली भी खेले हैं।

 राधा संग गोपी की होली है।

 केसर रंग से रंग गयो रे ।

ढोलक मंजीरा पर जँच गयो रे।

 चैती ने रंग जमाया है।

 होरी का उत्सव सजाया है ।

बाजे ढोल मृदंग संगीत ने सुर लगाया है। 

सारंगी तबले का क्या कहना।

 फगुआ में रौनक आई है।


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