कान्हा होली मनावे है
कान्हा होली मनावे है
होली के छंद है बजने लगे।
दोहा चौपाई संग गाने लगे।
गेर चंग नचाने लगे ।
होली की धूम मचाने लगे।
चंपा कहे चमेली से।
गुलाल अबीर सहेली से।
चल सखी मिले बिहारी से।
वृंदावन के बिहारी से।
फुलेरा दूज की बधाई है ।
टेसू ने धूम मचाई है।
गुलाब केसर की बस्ती छाई है
किशोरी कन्हैया की होली आई है।
फूलों को मिली बधाई है।
गोपियों की टोली आई है ।
गोप-गोपी संग धूम मचावे हैं ।
केशवी-केशव रास रचावे हैं।
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रंग दियो ऐसो की रंग नाहीं छूटे ।
किशन तो मोहे रंग गयो रे।
भक्ति से मोहे वो रंग गयो रे ।
नंद को लालो यूँ रंग गयो रे।
भक्ति से मोहे वो रंग गयो रे ।
कन्हैया को रंग नहीं छूटे रे।
फगुआ में आओ देखो नंदलालो।
होली ने रंग बरसायो है।
फाग ने फगुआ मनायो है।
रंग रंगीली बांसंती को
बसंत ने खूब सजायो है ।
राधा संग कान्हा रास रचावे है।
ग्वाल गोपियाँ रसिया गावे है ।
खेले फूलों की होली लट्ठमार होली।
रंगों की होली भी खेले हैं।
राधा संग गोपी की होली है।
केसर रंग से रंग गयो रे ।
ढोलक मंजीरा पर जँच गयो रे।
चैती ने रंग जमाया है।
होरी का उत्सव सजाया है ।
बाजे ढोल मृदंग संगीत ने सुर लगाया है।
सारंगी तबले का क्या कहना।
फगुआ में रौनक आई है।
